जमशेदपुर, सितम्बर 26 -- टाटा मेन हॉस्पिटल ने जन्मजात डायाफ्रामिक हर्निया (सीडीएच) का सफल ऑपरेशन किया गया। इसी के साथ संस्थान ने बाल शल्य चिकित्सा नवाचार में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की है। डॉक्टरों ने बताया कि यह एक जानलेवा स्थिति है, जिसमें आंत, तिल्ली और यकृत का बायां भाग बाईं छाती में था। इससे दो दिन के बच्चे की श्वसन प्रक्रिया प्रभावित हो रही थी। इस उपचार के लिए उच्च शल्य चिकित्सा विशेषज्ञता की आवश्यकता थी। झारखंड में अपनी तरह की इस पहली सर्जरी में डॉ. शिशिर कुमार के नेतृत्व में बच्चे की छाती में केवल तीन छोटे छेद कर सर्जरी की गई, जिससे उसकी सामान्य शारीरिक संरचना बहाल हुई और उसके फेफड़ों पर दबाव कम हुआ। नवजात शिशु का सफल स्वास्थ्य लाभ कई परिवारों के लिए आशा की किरण है, क्योंकि ऐसी सुविधाएं भारत में केवल कुछ ही प्रमुख केंद्रों पर उपलब्...