जमशेदपुर, जून 3 -- देश की सबसे पुरानी श्रमिक यूनियनों में से एक टाटा वर्कर्स यूनियन की साख दांव पर है। इस यूनियन के समझौते देश के अन्य कंपनियों के लिए मिसाल हुआ करते थे। हालांकि अब स्थिति उलट है। हाल के दिनों में हुए एलटीसी समझौते के बाद यूनियन नेता मौजूदा हालात का हवाला देते हुए बेहतर समझौता बता रहे हैं। पर कर्मचारी इससे संतुष्ट नहीं है। समझौते के बाद एक कमेटी मेंबर ने सोमवार को यूनियन के अधिकारिक वाट्सएप ग्रुप में 18 महीने देर से हुए समझौते के साथ वर्ष 2008 से अब तक हुए समझौते का ब्योरा देते हुए कहा कि बीते 14 वर्षों में एलटीसी इंक्रीमेंट 46% से घटकर 21 प्रतिशत पर पहुंच गया है। इस प्रकार कर्मचारियों को 25 प्रतिशत का नुकसान हुआ है। हालांकि इस पोस्ट पर किसी अधिकारी ने कोई कमेंट नहीं किया है, पर यह कमेटी मेंबरों के बीच चर्चा का विषय बना हु...
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