नई दिल्ली, अक्टूबर 9 -- नई दिल्ली। टाटा ट्रस्ट्स बोर्ड नियुक्ति और प्रशासन के मुद्दों को लेकर अपने ट्रस्टियों के बीच अंदरूनी कलह में फंस गया है। यह टाटा संस में अपनी लगभग 66 प्रतिशत हिस्सेदारी के माध्यम से भारत के सबसे मूल्यवान समूह पर निर्णायक प्रभाव डालता है। सूत्रों ने बताया कि ट्रस्टों में दो धड़े हैं, जिनमें से एक धड़ा नोएल टाटा के साथ जुड़ा है। उन्हें रतन टाटा के निधन के बाद ट्रस्टों का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। वहीं, चार ट्रस्टियों के दूसरे समूह का नेतृत्व मेहली मिस्त्री कर रहे हैं, जिनके पास टाटा संस में लगभग 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है। वह शापूरजी पलोनजी परिवार से संबंधित हैं। मेहली को कथित तौर पर लगता है कि उन्हें महत्वपूर्ण मामलों से दूर रखा गया है। सूत्रों ने बताया कि विवाद का मुख्य कारण टाटा संस में बोर्ड की सीटें हैं, जिस...