फरीदाबाद, जनवरी 28 -- फरीदाबाद। मानव रचना सेंटर फॉर एडवांस्ड वाटर टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट के निदेशक डॉ. अरुणांग्शु मुखर्जी ने कहा कि टयूबवेल से एक एकड़ सिंचाई करने के लिए जितने पानी की जरूरत होती है, टपका सिंचाई पद्धति के माध्यम से उतने पानी में साढ़े चार एकड़ जमीन की सिंचाई की जा सकती है। भविष्य की पीढ़ियों के लिए पानी बचाने के लिए टपका और फव्वारा सिंचाई पद्धतियों को अपनाने की जरूरत है। वे मंगलवार को पाली गांव में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा अटल भूजल योजना के तहत आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि टयूबवेल से सिंचाई करने से पानी की ज्यादा बर्बादी होती है। पानी बचाने के लिए हम सब की जिम्मेदारी बनती है। उन्होंने कहा कि पानी बचाने के लिए फव्वारा और टपका सिंचाई पद्धति काफी लाभदायक है। उन्होंने बताया कि टयूबवेल से जितने प...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.