जमशेदपुर, नवम्बर 22 -- ब्रिटेन की ससेक्स विश्वविद्यालय के विश्व पर्यावरण इतिहास सेंटर के आमंत्रण पर लंदन के पास ससेक्स स्थित प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय कैंपस पहुँचे कुणाल ने जोहार के साथ व्याख्यान की शुरुआत की। उन्होंने 150 साल लंबे झारखंड के जल, जंगल, जमीन की लड़ाई के इतिहास के नायक रहे सिद्धों कान्हो से लेकर बिरसा मुंडा तक के योगदान के बारे में बताया। देश के स्वाधीनता के लिए अंग्रेज़ों की लड़ाई का बिगुल सबसे पहले 1757 मे भोगनाडीह से फुँका गया था। इस अवसर पर रांची की त्रिनिशा और खूँटी की उषा से भी कुणाल ने मुलाकात की जो इस छात्रवृत्ति के माध्यम से ससेक्स विश्वविद्यालय मे शिक्षारत हैं। दोनों ने इस मौके के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का धन्यवाद दिया। कुणाल ने ससेक्स विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीय उप प्रो वी सी सिमोन थोंपसन, सेंटर ऑफ वर्ल्ड इ...