रांची, अगस्त 15 -- रांची। अपर बाजार में झंडों की दुकान चलाने वाले हाजी अब्दुल सत्तार का परिवार पिछले 25 वर्षों से इस परंपरागत व्यवसाय से जुड़ा हुआ है। यह कारोबार उनके पिता ने शुरू किया था और आज उनकी तीसरी पीढ़ी इसमें सक्रिय रूप से काम कर रही है। हाजी अब्दुल बताते हैं कि उनके पिता स्वयं झंडे बनाया करते थे। उन्हीं से प्रेरणा लेकर पूरा परिवार इस कार्य से जुड़ गया। अब्दुल का कहना है कि तिरंगे झंडे का निर्माण करते समय उनके अंदर एक विशेष प्रकार की देशभक्ति और ऊर्जा का संचार होता है। यह काम उनके लिए केवल एक व्यापार नहीं बल्कि सम्मान और गर्व का विषय है। उनका मानना है कि तिरंगे का निर्माण पूरी श्रद्धा, स्वच्छता और नियमों का पालन करते हुए किया जाना चाहिए। इसी भावना के साथ उनके कारखाने में 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे राष्ट्रीय पर्वों से करीब तीन महीने...