मुजफ्फरपुर, अक्टूबर 10 -- मुजफ्फरपुर। अपने ही गांव में परदेशी कहलाना किसे अच्छा लगता है। कोई भी आदमी अपने घर का दाना-पानी छोड़कर बाहर नहीं जाना चाहता। नहीं चाहता कि बच्चों की मुस्कान, पत्नी का प्यार और मां-पिता के दुलार से दूर रहे। लेकिन, मजबूरियों ने गरीब परिवार के हर जवान होते बेटे के नसीब में पलायन की पीड़ा लिख दी है। गुरुवार को हिन्दुस्तान के संवाद कार्यक्रम में बुद्धिजीवियों ने यह चिंता जाहिर की। कहा-केवल श्रम ही नहीं, बल्कि प्रतिभा का भी पलायन हो रहा है, जिससे तिरहुत प्रमंडल समेत हमारा राज्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है, जबकि दूसरे राज्य हमारे संसाधनों के बूते तरक्की कर रहे हैं। शहर के बुद्धिजीवियों ने मजदूरों के मौसमी पलायन पर भी चिंता जतायी। सुझाव दिया कि अगर स्थानीय स्तर पर ज्यादा से ज्यादा काम मिले, कल-कारखाने, उच्च व तकनीकी शिक्षण सं...