कन्नौज, नवम्बर 5 -- हसेरन, संवाददाता। हसेरन निचली गंग नहर स्थित देवकुटी आश्रम पर चल रही श्रीमद् भागवत कथा के विश्राम दिवस पर कथा वाचक ने कंस वध की कथा का वर्णन किया। इसके अलावा कृष्ण-सुदामा की मित्रता का प्रसंग सुनाया। कथावाचक आचार्य विमलेश त्रिपाठी ने कथा में बताया श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान का पथ प्रदर्शक है। उन्होने बताया कि भगवान कृष्ण ने कंस का उद्धार किया। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण द्वारकापुरी रहने लगे। एक समय उनके बचपन के मित्र सुदामा मिलने उनसे द्वारकापुरी पहुंचे। उनकी दीन दशा देख द्वारपालों ने उन्हें रोक लिया। काफी बार समझाने के बाद भी द्वारपाल नहीं माने, निराशा और हताश होकर सुदामा जी वापस चल दिए। द्वारपाल ने जाकर जैसे ही संदेश सुनाया की आपसे मिलने आपके मित्र सुदामा जी द्वार पर आए हैं। नाम सुनते ही भगवान कृष्ण नंगे पैर दौड़ पड़े अपने म...