वाराणसी, दिसम्बर 12 -- वाराणसी। सिविल जज (सीनियर डिवीजन फास्टट्रैक) भावना भारती की कोर्ट में गुरुवार को ज्ञानवापी के वर्ष 1991 के पुराने मुकदमे में वादमित्र को हटाने की खारिज हो चुकी अर्जी में संशोधन करने के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई हुई। अदालत में अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी की ओर से बहस पूरी हो गई। अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी। जिसमें अब अर्जीकर्ताओं की ओर से जवाबी बहस करनी है। इंतेजामिया की ओर से अधिवक्ता मुमताज अहमद, रईस अहमद अंसारी और मो एख़लाख ने कहा कि वादी रहे हरिहर पांडेय के आवेदन के आधार पर विजय शंकर रस्तोगी को वादमित्र और वादी संख्या पांच बनाया गया था। चार साल तक वह जीवित थे। कभी भी वादमित्र बनने के लिए उन्हें धोखा में नहीं रखा गया। सिर्फ इस मामले के लंबित करने के लिए इस तरह की अर्जी दाखिल की गई है। इसमें कोई भी तथ्य नहीं, जो...