नई दिल्ली, जून 11 -- वित्त विहीन स्कूलों के बिना शिक्षा की कल्पना करना मुश्किल है। क्योंकि जहां परिषदीय विद्यालयों में 1.80 लाख बच्चे सरकारी खर्चे पर शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वहीं न्यूनतम दर पर शिक्षा मुहैया कराने वाले वित्त विहीन स्कूल सरकारी प्रताड़ना के शिकार हो रहे हैं। कभी अपार आईडी तो कभी कभी यूडाइस के नाम पर बार बार मान्यता खत्म करने की धमकी झेल रहे हैं। इन विद्यालयों में शिक्षा के अधिकार सबसे अधिक बच्चों को दाखिला लिया जाता है। पर पूरे साल पढ़ाने के बाद भी पैसा पूरा नहीं मिलता है। 16 साल पहले जो आरटीई का दर घोषित हुआ उसे भी रिवाइज नहीं किया गया। जनपद में जितने परिषदीय स्कूल हैं, उतने ही करीब वित्त विहीन विद्यालय हैं। जो प्राथमिक शिक्षा देने का कार्य कर रहे हैं। पर परिषदीय विद्यालयों में सरकारी धन, मिडडे मील और लाखों के ग्रांट मि...
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