मेरठ, अक्टूबर 2 -- मेरठ। रेलवे रोड ज्ञान सत्संग भवन आनंदपुरी में प्रवास कर रहे जैन मुनि प्रतीक सागर महाराज ने बुधवार को प्रवचन करते श्रद्धालुओं को बताया कि जो प्रभु की भक्ति करता है वह कभी तनाव में नहीं जाता। आचार्य कुदंकुदं देव ने श्रमण और श्रावकों के लिए अलग-अलग संविधान बनाया है। मुनियों के लिए प्रतिक्रमण स्तंवन वंदना और श्रावकों के लिए देव पूजा, स्वाध्याय, संयम, तप, दान और जो जो दो कार्य श्रमण और श्रावको के लिए ज्यादा जरूरी और आवश्यक है, साधुओं के लिए ज्ञान और ध्यान और श्रावकों के लिए दान और पूजा है। स्वाध्याय भी प्रत्येक श्रावक को रोजाना करना चाहिए, इससे राग द्वेष कषाय क्षीण होते है। कहा जितना मन के परिणाम निर्मल होगें उतना ही पाप घटेगा और आत्मिक पुण्य बढ़ेगा। हम अपने बेटे बेटियों को मन्दिर लाए, उन्हे धर्म ध्यान संयम की और बढ़ाए, जैन ...