मुंगेर, मार्च 23 -- मुंगेर। इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्यपाल ने कहा कि, भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा को जानना, पहचानना और आत्मसात करना आवश्यक है। उन्होंने पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देने की बात करते हुए कहा कि, जो किताब पढ़ेगा, वही कल देश का नेतृत्व करेगा। उन्होंने कहा कि, वे श्री कृष्ण बाबू के सम्मान एवं पुस्तकालय के प्रति अपने प्रेम के कारण इस कार्यक्रम में आए हैं। इस पुस्तकालय का समृद्ध इतिहास रहा है, जहां देश की कई महान विभूतियों का आगमन हुआ है। उन्होंने कहा कि, भारतीय संस्कृति विविधता में एकता को स्वीकार करने और उसका सम्मान करने का विवेक प्रदान करती है। इसके साथ ही उन्होंने भारतीय संस्कृति को परिभाषित करते हुए कहा कि, यह संसार विषवृक्ष के समान है, लेकिन इसमें दो अमृत फल मिलते हैं। पहला पुस्तकें और दूसरा सत्संग। यही दो तत...
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