शामली, नवम्बर 6 -- शहर के जैन धर्मशाला शामली में आयोजित धार्मिक सभा में मुनि श्री 108 विव्रत सागर ने कहा कि जैन दर्शन संसार के सभी दर्शनों में अद्वितीय है, क्योंकि यह किसी को दास या अनुयायी नहीं बनाता, बल्कि सबको स्वयं का मालिक बनने की प्रेरणा देता है। यहां दासता का नहीं, बल्कि आत्मनिर्भरता का संदेश निहित है। मुनि श्री ने कहा कि जहां अन्य दर्शनों में भगवान के भक्त बनने की बात होती है, वहीं जैन दर्शन व्यक्ति को भगवान बनने का मार्ग बताता है। जैन गुरु अपने शिष्य से कहते हैं कि बेटा, तू मेरा चेला मत बन, तू तो खुद का गुरु बन। यह संदेश आत्म-जागृति और अपनी अंतरध्वनि को पहचानने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति के भीतर आत्मा की आवाज निरंतर उठती रहती है, जो सही और गलत का बोध कराती है। यदि हम इस आंतरिक स्वर को सुनना सीख लें, तो ह...