कुशीनगर, जून 25 -- कुशीनगर, वरिष्ठ संवाददाता। पांच जनवरी 1975 को जेपी कुशीनगर आए थे। बुद्ध इंका के छात्रसंघ ने उन्हें बुलाया था। तब पूरा बिहार इंदिरा सरकार के खिलाफ आंदोलन रत था। छात्रों में जेपी का गजब का क्रेज था। कुशीनगर बुद्ध इंका के ग्राउंड पर उनकी सभा हुई। उनकी बातों का असर यह हुआ कि पूरा जिला उनके आंदोलन में साथ खड़ा हो गया। स्कूल कॉलेजों में आंदोलन शुरू हो गए। पडरौना स्टेशन पर ट्रेन रोकी गयी। आंदोलन चरम पर पहुंच गए तो 25 जून 1975 को इमरजेंसी लागू कर दी गयी। मिथिलेश्वर पांडेय बताते है कि तब कुशीगनर भी देवरिया जिले का हिस्सा था। भाटपाररानी में छात्रों पर गोली चलने के खिलाफ कसया में छात्रों ने आंदोलन किया था। इस दौरान विवाद हुआ और पुलिस की गोली से एक व्यक्ति की मौत हो गयी। छात्र संघ का महामंत्री होने के कारण मुझे भी जेल भेजा गया। छूट...