रांची, अगस्त 5 -- झारखंड के गांधी कहे जाने वाले दिशुम गुरु शिबू सोरेन अपनी जुबान के पक्के थे। वे अपने किसी भी सामान्य कार्यकर्ता और समर्थकों को जुबान दे देते थे तो किसी न किसी रूप से उसे जरूर पूरा कर देते थे। यही वजह है कि जो लोग शिबू सोरेन से जुड़े, उनसे जीवन भर के लिए जुड़ते चले गए और जुड़े रहे। वे अपने कार्यकर्ताओं व समर्थकों के प्रति काफी संवेदनशील रहने वाले अगुवा नेताओं में से एक थे। ऐसी ही घटना वर्ष 2004 में घटी। जब जमशेदपुर के डिमना में झारखंड मुक्ति मोर्चा का अधिवेशन चल रहा था और झामुमो नए सिरे से अपने संगठन को विस्तार व संगठित करने का प्रयास कर रहा था। गुरुजी के करीबी रहे जमशेदपुर के वरिष्ठ पत्रकार विनय पूर्ति के अनुसार वर्तमान विधायक निरल पूर्ति एक चालक और समर्थक के रूप में शिबू सोरेन से मिलते-जुलते थे। निरल उस समय में पूर्व मुख...
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