हरिद्वार, दिसम्बर 28 -- हरिद्वार लिटरेचर फेस्टिवल के समापन अवसर पर रविवार को पद्मश्री शायर नीम काफ निजाम ने गंगा-जमुनी संस्कृति को भारत की सबसे बड़ी ताकत बताया। उन्होंने कहा कि जुबां का कोई मजहब नहीं होता, साहित्य इंसानियत को जोड़ने का काम करता है। उन्होंने कहा कि भटकना शायर का मुकद्दर होता है और वेद एवं शेर दोनों का भाव एक ही सत्य की ओर इशारा करता है। उनके विचारों को सुनकर श्रोतागण भावविभोर हो उठे। संवाद सत्र के दौरान शायर अम्बर खरबंदा, दिलदार देहलवी और एएस कुशवाह ने अपने चुनिंदा शेर पेश किए, जिन्हें श्रोताओं ने खूब सराहा। इस फेस्टिवल में नवोदित युवा रचनाकारों पर केंद्रित विशेष संवाद सत्र भी हुआ। वृंदा वाणी, सेजत बाली, आरोही शर्मा और सीरत अरोरा ने अपनी रचनात्मक प्रक्रिया साझा की। डॉ. भारती शर्मा और डॉ. आशिमा श्रवण ने संचालन किया। डॉ. हरि...