अंबेडकर नगर, मई 14 -- दुलहूपुर, संवाददाता। जीव अकेला ही पैदा होता है और अकेला ही मरकर जाता है। अपनी करनी धरनी का पाप पुण्य का फल भी अकेले ही भोगता है। यह मूर्ख जीव जिन्हें अपना समझ कर अधर्म करके भी पालन पोषण करते हैं वही प्राण धन और पुत्र आदि इस जीव को असंतुष्ट छोड़कर चले जाते हैं, इसलिए ऐसे काम करने चाहिए जिससे इस लोक में सुख की प्राप्ति हो और परलोक में उत्तम गति मुक्ति भी मिल जाए। उक्त बातें कथा व्यास राजेश निर्मोही ने ग्राम हजपुरा में हृदय मणि मिश्र के यहां आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के अंतिम दिन कही। उन्होंने कहा कि कंस ने अनेक प्रकार के पाप कर्म किए जिसका फल उसे स्वयं ही भोगना पड़ा। बुधवार की कथा में भगवान श्रीकृष्ण और रुक्मणी के विवाह का वर्णन बड़े ही मार्मिक ढंग से किया गया। कथा व्यास ने कहा कि विवाह प्रेम संबंध है जिसमें दहेज जैसी प्रथ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.