बेगुसराय, सितम्बर 7 -- गढ़हरा (बरौनी), एक संवाददाता। अभेदानंद आश्रम बारो स्थित आर्य समाज मंदिर के प्रांगण में रविवार को वेदों में श्राद्ध एवं तर्पण विषय पर चिंतन सभा का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में वैदिक विद्वान गोविंद आर्य ने पुरोहित व अग्निवेश आर्य ने मुख्य यजमान की भूमिका निभायी। मौके पर संतोष आर्य ने कहा कि श्राद्ध और तर्पण का अर्थ जीवितों के प्रति श्रद्धा और सेवा है। यह मृत ''पितरों'' के लिए पिंडदान या अन्य पारंपरिक अनुष्ठान नहीं है। महर्षि दयानंद सरस्वती के अनुसार ये कर्मकांड मूलतः वेद विरुद्ध और मनगढ़ंत हैं। वेद के अनुसार जीवित माता-पिता, गुरुजनों, और अन्य सेवा योग्य जनों के प्रति श्रद्धा व सेवा को ही श्राद्ध और तर्पण मानता है। श्राद्ध का अर्थ मृत व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि अपने माता-पिता, गुरुजनों और अन्य श्रेष्ठजनों के प्रति श्रद्धा ...