चंदौली, अगस्त 25 -- धीना, हिन्दुस्तान संवाद। सदगुरू आश्रम गंगाधाम महुजी में रामचरित मानस कार्यक्रम के पूर्व संध्या पर रविवार को आश्रम में उपस्थित भक्तों को अपने संबोधन में संत प्रकाशनंद जी ने कहा कि कर्म ही तुम्हारी पहचान है। जो लोग मुश्किल से डर जाते वह उनके जीवन की हार बन जाती है। जीवन में मौका मिले तो सारथी बनना स्वार्थी नहीं। जो व्यक्ति सब कुछ जनता स्वयं को नहीं जनता वह अज्ञानी है। संतोष सबसे बड़ी संपत्ति है। वफादारी सबसे बड़ा रिश्ता है। दुख भोगने वाला आगे चलकर सुखी बन जाता है। दूसरों को दुख देने वाला कभी सुखी नहीं हो सकता। इस अवसर पर हरियाणा से आए नाथ संप्रदाय के संतों ने प्रसाद ग्रहण करने के उपरांत अंग वस्त्र भेट किया गया। सुबोध आश्रम हरहुआ वाराणसी से माता परमार्थ सरोजनी ने भी प्रसाद ग्रहण कर लोगो को आशीर्वाद दी। इसमें पूर्व ग्राम प...