सुल्तानपुर, अक्टूबर 14 -- करौंदीकला, संवाददाता विजेथुआ महोत्सव में चल रही वाल्मीकि रामायण के चौथे दिन व्यासपीठ से स्वामी रामभद्राचार्य ने कहा कि यदि श्रीराम जैसा मर्यादा वादी स्वामी नहीं बन सकते तो हनुमानजी जैसा मर्यादा वादी सेवक बनने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि मर्यादा ही मनुष्य को महान बनाती है। श्रीराम ने अपने जीवन के प्रत्येक क्षण में धर्म और मर्यादा का पालन किया, इसलिए वे आज भी आदर्श स्वामी माने जाते हैं। कहा कि हनुमानजी ने सेवक होकर भी मर्यादा की ऐसी मिसाल पेश की, जो युगों-युगों तक प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने अपने समर्पण और निष्ठा से यह सिद्ध किया कि सेवा का अर्थ केवल आज्ञापालन नहीं, बल्कि पूर्ण मर्यादा में रहकर कर्तव्य निभाना है। स्वामी जी ने कहा कि "नेता बनना बड़ी बात नहीं, मर्यादा में रहकर सेवा करना ही सबसे बड़ी साधना है। उन...
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