प्रयागराज, फरवरी 7 -- महाकुम्भ नगर। संगम की रेती पर एक बार कल्पवास का संकल्प लेने के बाद उसे हर परिस्थिति में पूरा करना होता है। इसीलिए अपनी आस्था, अवस्था व व्यवस्था के अनुसार कल्पवासी निर्धारित अवधि तक के लिए संकल्प लेते हैं। संकल्प बाधित न हो इसके लिए हर संभव प्रयास भी करते हैं। चित्रकूट की रहने वाली प्रेमावती ने पति राधेश्याम के साथ पौष पूर्णिमा को सेक्टर पांच में कल्पवास शुरू किया था। पांच ही दिन बीता था कि ढाई साल का पौत्र छत से गिर गया उसके सिर में सरिया धंस गयी। उसका एसआरएन में ऑपरेशन होना था। बच्चे को देखने के लिए सेक्टर पांच से थोड़ी दूर पैदल चलीं कि एक चार पहिया वाहन ने ठोकर मार दी। जिससे उनका दाहिना पैर टूट गया। एक साथ दो मुशीबत होने के बावजूद प्रेमावती की आस्था नहीं डिगी। उन्होंने पैर में प्लास्टर बंधवाया और कल्पवास को जारी रख...