सीवान, जून 8 -- सीवान। जिले में विगत तीन दशकों से प्रदूषण की मार झेल रही बाणेश्वरी यानि दाहा नदी की कहानी भी देश की बहुत सी छोटी नदियों की ही तरह है, जो कभी अपनी अविरल प्रवाह से मुख्य नदियों को सहायता देते हुए प्राकृतिक तंत्र को बनाये रखती थी। आज यह नदी या तो समाप्त होने के कगार पर पहुंच चुकी है। दाहा नदी भी कुछ ऐसी ही विकट परिस्थितियों से जूझ रही है, इससे लगता है कि आने वाले समय में लुप्तप्राय हो जाएगी। बताते चलें कि जिले की जीवनरेखा मानी जाने वाली यह नदी आज किसी नाले के समान दिखाई देती है। इसमें न तो प्रवाह बचा है और न ही जलीय जीवन। 80 के दशक के बाद से ही दाहा धीरे धीरे प्रदूषण की चपेट में आने लगी थी, लेकिन आज तक न तो प्रशासन ने इस नदी की सुध ली है और न ही आमजन का सरोकार इस नदी से है। यह बेहद दुखद है कि लाखों लोगों के जीवन से जुडी एक नद...
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