आगरा, सितम्बर 7 -- भारतीय शैक्षिक प्रकाशक महासंघ का मानना है कि सरकार की मंशा के अनुरूप पाठ्य पुस्तकें सस्ती नहीं हो पाएंगी। जिस तरह जीएसटी स्लैब में विसंगति उत्पन्न हो गई है, उससे तो यह इनके दाम बढ़ने का अंदेशा है। केंद्रीय वित्त मंत्री को पत्र लिख कर इस मसले को जल्द से जल्द सुलझाने का अनुरोध किया गया है। अध्यक्ष गोपाल शर्मा एवं महासचिव राजेश गुप्ता के अनुसार कागज़ के कोड (एचएसएन 4802) से संबंधित हालिया संशोधनों ने एक गंभीर विसंगति उत्पन्न कर दी है, जो पाठ्यपुस्तक उद्योग और सस्ती शिक्षा के उद्देश्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है। उनके अनुसार 56वीं जीएसटी परिषद की बैठक में अभ्यास पुस्तिकाओं व स्टेशनरी को राहत मिली है। लेकिन पाठ्यपुस्तकों के प्रयोग वाले कागज को ऊंचे स्लैब में रखा गया है। एचएसएन 4802 को सामान्य प्रविष्टि में 18% कर पर ले जाया ...