कानपुर, अक्टूबर 12 -- पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कहा कि शूद्रों के बिना समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। क्योंकि जन्म से नहीं कर्म से ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र होते हैं। एक व्यक्ति में मुख को ब्राह्मण, हाथों को क्षत्रिय, पेट को वैश्य और पैरों को शूद्र कहा गया है। अगर पैर अर्थात शूद्र नहीं होंगे तो खड़ा रहना मुश्किल है। समाज की शुरुआत मनु से हुई। एक नेता के बयान पर उन्होंने कहा कि हमारा इतिहास है और हमारा डीएनए भगवान राम और कृष्ण से मिलता है। आपका इतिहास और डीएनए नहीं मिलता तो हमारी क्या गलती है। अर्रा में रविवार को अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की ओर से आयोजित दशहरा मिलन समारोह में पूर्व सांसद ने कहा, हमारे समाज ने वक्त की वैल्यू नहीं समझी। जिसने वक्त की नजाकत को नहीं समझा, उसका मिटना तय है। वक्त के साथ खुद को न बदलने से क...