कौशाम्बी, जुलाई 7 -- सिराथू, हिन्दुस्तान संवाद। कोई शौक नहीं था, उसे ई-रिक्शा चलाने का। चार बहनों व एक भाई के बीच वह भी घर की लाडली ही थी। पिता हार्ट के मरीज बने, बहन का हाथ टूटा तो दो जून की रोटी के लाले पड़ गए। अगले साल बहन की शादी भी होनी थी। छोटा भाई महज अभी चार साल का है। जिम्मेदारियों के बोझ में दबी सुमन ने ई-रिक्शा की हैंडिल थाम ली। सड़क पर उसने रफ्तार भरनी शुरू की तो लोगों की निगाह उसके हौसले पर पड़ी। बहादुर बेटी का नाम देकर लोगों ने सोशल मीडिया पर उसकी मजबूरियों का जिक्र शुरू किया तो अचानक अधिकारी हरकत में आ गए और एक ही झटके में सुमन के हिस्से वह सारी जरूरतें आ गई, जिसकी उसे सालों से दरकार थी। ----- डीएम के निर्देश पर सुमन के गांव पहुंचे एसडीएम डीएम मधुसूदन हुल्गी ने ई-रिक्शा चलाते हुए सुमन की सोशल मीडिया पर वीडियो देखी तो हकीकत खंग...