नई दिल्ली, अक्टूबर 3 -- महात्मा गांधी के नाम से दुनिया भर में अहिंसक आंदोलन के प्रतीक मोहनदास करमचंद गांधी को प्रतिष्ठित नोबेल शांति पुरस्कार क्यों नहीं मिला, इसका जवाब एक आलेख के जरिए नोबेल प्राइज वालों ने 1999 में पहली बार दिया था। पिछले 25 साल से 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर हर साल नोबेल फाउंडेशन उसी आर्टिकल को दोबारा शेयर कर देता है। इतिहास के प्रोफेसर और नोबेल पीस पुरस्कार सेक्शन के संपादक रहे ओयविंड टन्नेसून ने 1999 में फाउंडनेशन की वेबसाइट पर 'Mahatma Gandhi, the missing laureate' टाइटल से एक लंबा लेख लिखा और बताया कि किन पांच मौकों पर गांधी का नाम नाॉमिनेट तो हुआ लेकिन विजेता चुनने वालों ने उनका नाम फाइनल नहीं किया। टन्नेसून के लेख का सार यह है कि नोबेल वालों को अफसोस है कि महात्मा गांधी को पीस प्राइज नहीं मिला, लेकिन अगर वो जिंदा ...