अश्विनी कुमार, सितम्बर 30 -- वराह पुराण के अनुसार देवी अपराजिता, देवी वैष्णवी के कठोर तप से उत्पन्न हुई थीं। वैष्णवी, देवी त्रिकुटा का एक रूप हैं। ये भगवान विष्णु की शक्ति का प्रतीक हैं। इन्हें दुर्गा का ही एक रूप माना जाता है। वैष्णवी की व्याकुलता से ही इनके शरीर का रंग लाल है। इनसे ही अपराजिता सहित और अन्य कई देवियां प्रकट हुईं। मान्यता है कि शारदीय नवरात्र की दशमी तिथि को देवी अपराजिता की पूजा किए बिना नवरात्र पूजा का फल नहीं मिलता। दोपहर के बाद और संध्याकाल से पहले अपराजिता पूजन किया जाता है। इस संबंध में एक पौराणिक कथा है। राम-रावण के बीच भीषण युद्ध चल रहा था। रावण की ओर से उसके भाई कुंभकर्ण और इंद्र को परास्त करनेवाले पुत्र मेघनाद सहित सभी प्रमुख योद्धा युद्ध में मारे जा चुके थे। इसके बावजूद रावण पराजित नहीं हो रहा था। रणभूमि में रा...