जमशेदपुर, मई 4 -- दलमा के जंगलों में पारंपरिक सेंदरा पर्व को लेकर इस बार माहौल कुछ अलग है। एक तरफ आदिवासी सेंदरा वीरों की तैयारी जोरों पर है, वहीं दूसरी ओर वन विभाग नियंत्रित करने के लिए पूरी तरह सतर्क है। बाघ की हालिया मौजूदगी और पिछले अनुभवों को ध्यान में रखते हुए विभाग ने इस बार कानूनी और प्रशासनिक कदमों को तेज कर दिया है। दलमा की तलहटी में प्रवेश रोकने के लिए 17 नाके बनाए गए हैं। इन बिंदुओं पर वनकर्मियों की तैनाती की गई है, ताकि किसी भी प्रकार की अवांछित गतिविधियों को रोका जा सके। साथ ही, गांव-गांव में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें लोगों को वन्य प्राणी संरक्षण अधिनियम 1972 की जानकारी दी जा रही है। वन विभाग द्वारा जारी पर्चे में स्पष्ट किया गया है कि सेंदरा के दौरान यदि किसी वन्य प्राणी का शिकार हुआ तो यह कानून का उल्लंघन मान...