औरैया, नवम्बर 1 -- शिक्षक चंद्रशेखर हत्याकांड की सुनवाई के बीच सामने आया तथ्य यह बताता है कि यह सिर्फ जमीन विवाद नहीं, बल्कि न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने की सोची-समझी साजिश थी। 8 अगस्त 2011 को चंद्रशेखर पर जानलेवा हमला हुआ था। वह सुबह अपने गांव से पुर्वा बघन स्थित परिषदीय विद्यालय जा रहा था तभी जय सिंह, अनिल और तीन अन्य लोगों ने उसे घेरकर गोली चला दी थी। गंभीर रूप से घायल चंद्रशेखर ने घटना की रिपोर्ट फफूंद थाने में दर्ज कराई थी। हमले के पीछे जमीन को लेकर रंजिश बताई गई थी। मामला अदालत पहुंचा जिसमें चंद्रशेखर मुख्य गवाह था। अभियोजन पक्ष के मुताबिक आरोपितों को आशंका थी कि उसकी गवाही उनकी सजा तय कर देगी। इसी वजह से वे गवाही के मौके से पहले उसे रास्ते से हटाना चाहते थे। इसी कड़ी में घटना के दो महीने बाद 9 अक्टूबर 2011 की शाम चंद्रशेखर की ...
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