किशनगंज, अप्रैल 24 -- किशनगंज, एक प्रतिनिधि । एमडीआर टीबी (मल्टी-ड्रग रेसिस्टेंट टीबी), यानी टीबी का वह स्टेज जिसमें सामान्य दवाएं असर नहीं करती। इस स्टेज में इलाज लंबा होता है, दवाओं की मात्रा ज्यादा होती है और शारीरिक व मानसिक थकावट चरम पर होता है। लेकिन किशनगंज की एमडीआर पीड़ित दो महिलाओं साक्षी और नेहा (काल्पनिक नाम) ने इस जानलेवा बीमारी को हराकर जहां खुद को बचाया, वहीं दोनों महिला टीबी चैंपियन के रूप में समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत बन गई हैं। जहां समाज में टीबी को लेकर भय और चुप्पी होती है, वहीं इन दोनों महिलाओं ने यह साबित कर दिया कि अगर सही समय पर इलाज मिले, सही पोषण और मनोबल मिले, तो कोई भी बीमारी बड़ी नहीं होती। निक्षय पोषण योजना बनी संजीवनी: टीबी इलाज के दौरान दोनों महिला को निक्षय पोषण योजना के तहत पूर्व में हर महीने 500-500 रुपय...