नई दिल्ली, मई 18 -- सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी भी भर्ती विज्ञापन के तहत आवेदन करने के लिए जाति प्रमाणपत्र उसी विशेष प्रारूप में प्रस्तुत करना अनिवार्य है, जैसा कि विज्ञापन में निर्धारित किया गया है। केवल किसी आरक्षित श्रेणी से संबंधित होने के आधार पर कोई कैंडिडेट इस व्यवस्था से छूट का दावा नहीं कर सकता है। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति मनमोहन की पीठ ने यह टिप्पणी उस मामले में की जिसमें एक उम्मीदवार ने उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPRPB) द्वारा जारी विज्ञापन के तहत आवेदन किया था। कैंडिडेट ने ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) प्रमाणपत्र केंद्र सरकार के लिए मान्य प्रारूप में प्रस्तुत किया था, जबकि विज्ञापन में स्पष्ट रूप से राज्य सरकार द्वारा निर्धारित प्रारूप में प्रमाणपत्र की मांग की गई थी। ...