मेरठ, जुलाई 29 -- मेरठ। आभा मानव मंदिर में सामाजिक संस्था शुभम करोति फाउंडेशन के तत्वावधान में चल रही रामचरित मानस कथा में सोमवार को कथावाचक ने बताया कि जहां सत्संग होता है, वहीं स्वर्ग एवं सतयुग बन जाता है। कथावाचक स्वामी अनंतानंद सरस्वती ने बालकांड पर प्रवचन करते हुए कहा कि प्रत्येक ग्रंथ के पारायण से पहले विनियोग कर उसके ऋषि, देवता, बीज मंत्र, छंद और कीलक आदि का स्मरण करना चाहिए। रामचरित मानस के ऋषि भगवान शिव, महर्षि बाल्मीकि, व्यास और गोस्वामी तुलसीदास हैं। देवता भगवान राम सीता हैं और बीज मंत्र राम है। भगवान शिव गुरु रूप में माता पार्वती को भगवान राम की कथा सुनाते हुए कहते हैं कि जिन्हें भगवान के नाम, रूप, लीला, धाम आदि में रूचि नहीं है उनके कान सर्प के बिल, आंखें मोर के पंख, शरीर शव, जिव्हा मेंढक की जीभ, सिर कड़वी लौकी और हृदय पत्थर ...
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