बदायूं, सितम्बर 11 -- श्री माहेश्वरी भवन में चल रही श्रीराम कथा के अंतिम दिन कथावाचक अयोध्यादास रामायणी ने कहा कि भगवान राम का भावपूर्वक स्मरण करने से जीव के सभी दु:ख दूर हो जाते हैं। कथावाचक श्रीराम कथा में अहिल्या उद्धार और जनकपुर पुष्प वाटिका के भ्रमण और धनुष भंग की कथा को श्रद्धालुओं को श्रवण करा रहे थे। ऋषि विश्वामित्र के मुख से धनुष यज्ञ की चर्चा सुनकर भगवान श्रीराम मुनिवर के साथ चल दिए। उन्होंने रास्ते में एक आश्रम देखा। जहां जीव जंतु नहीं थे। प्रभु श्रीराम ने एक पत्थर की शिला देखी। ऋषि विश्वामित्र ने ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या के पत्थर होने की कथा प्रभु राम को सुनाई। गौतम ऋषि के श्राप से अहिल्या पत्थर की हो गई थीं। रामायणी ने कहा कि यह पत्थर की शिला प्रभु श्रीराम के चरण रज का स्पर्श चाहती है। प्रभु के पावन चरण रज से उसके शोक नष्ट ह...