गोपालगंज, मार्च 24 -- कुचायकोट। एक संवाददाता। प्रभु श्रीराम की पावन, हृदयस्पर्शी एवं मनोहारी गाथा विश्व बंधुत्व, सामाजिक समरसता और राष्ट्र प्रेम का संदेश देती है। पूरी श्रीराम कथा चार जोड़ी भाइयों की कथा है- श्रीराम-लक्ष्मण, भरत-शत्रुघ्नन, बाली-सुग्रीव तथा रावण-विभीषण। जिन घरों में रामायण की चौपाइयों का चिंतन होता है, वहां भाइयों के बीच कभी कलह नहीं होता। जहां त्याग है, वहां श्रीराम हैं। और जहां स्वार्थ है, वहां महाभारत होता है। ये बातें मानस मधुकर शिवानंद त्रिपाठी जी ने राजापुर बाजार में आयोजित रुद्र महायज्ञ में कहीं। उन्होंने कहा कि श्रीराम का पावन चरित्र एवं मानवीय मूल्य ही आत्म कल्याण और समाज कल्याण का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।

हिंदी हिन्दुस्तान की स्वीकृति से एचटीडीएस कॉन्टेंट सर्विसेज़ द्वारा प्रकाशित...