जहन्नुम से छुटकारा पाने और गुनाहों से माफी मांगने की रात है शब-ए-बरात
रामगढ़, फरवरी 26 -- बरकाकाना, निज प्रतिनिधिइस्लामिक कैलेंडर की माह शाबान की 15वीं की रात को शब-ए-बरात कहा जाता है। इस वर्ष 25 फरवरी यानी रविवार की रात को शब ए बरात मनाया गया। मगरिब की नमाज के बाद पूरी रात इबादत की गई। अगले दिन 26 फरवरी को सुन्नत का रोजा रखा जाएगा। शब ए बरात की रात खुदा की इबादत, गुनाहों से निजात, माफी मांगने, बख्शीश और तोबा करने की रात है। इस रात खुदा की रहमत बरसती है। शब ए बरात को लेकर कब्रिस्तान की साफ-सफाई और मस्जिदों की सजावट की गई है। मौलाना गुलाम जिलानी ने बताया कि शब का अर्थ रात और बरात का अर्थ छुटकारा और माफी मिलना। शब ए बरात जहन्नुम से छुटकारा पाने और गुनाहों से माफी मांगने की रात है। बताया कि हजरत मोहम्मद साहब की बीवी हजरत आयशा फरमाती हैं कि हजरत मोहम्मद साहब कमरे में बिस्तर पर सोए हुए थे, तो रात में मेरी आंख खु...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.