पूर्णिया, अक्टूबर 14 -- जलालगढ़, एक संवाददाता। कभी घर की चहारदीवारी तक सीमित रहने वाली आदिवासी महिलाएं अब पपीता की खेती से आर्थिक आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं। कृषि विज्ञान केंद्र जलालगढ़ में सोमवार को आयोजित विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम में महिलाओं को यह सिखाया गया कि जिसे वे अब तक सिर्फ फल समझती थीं, वही पपीता नियमित आय का मजबूत साधन बन सकता है। जनजातीय योजना के तहत आयोजित इस प्रशिक्षण में विषय था- पपीता की उन्नत खेती। केंद्र के प्रधान एवं वरीय वैज्ञानिक डॉ. के. एम. सिंह ने समझाया कि पपीता सिर्फ सेहत का पहरेदार नहीं, बल्कि जेब का रखवाला भी बन सकता है। पपीता के फलों में प्रति 100 ग्राम में 30 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है l पपीता का फल हृदय रोगियों के लिए तथा मधुमेह रोगियों के लिए काफी लाभदायक होता है l पोषण के अलावा पपीता नियमित...
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