नई दिल्ली, जून 22 -- मानव द्वारा उत्पन्न जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पूरी दुनिया में महसूस किए जा रहे हैं। जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल (आईपीसीसी) की छठी आकलन रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि 2011-20 के दशक में पृथ्वी का तापमान, पूर्व-औद्योगिक काल (1850-1900) की तुलना में 1.1 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। साथ ही, विकसित देश वैश्विक कार्बन बजट में असंगत हिस्सेदारी रखने के बावजूद जलवायु कार्रवाई को गति देने के लिए आवश्यक साधन प्रदान करने के प्रति इच्छुक नहीं दिखाई देते। इस वैश्विक परिदृश्य के बीच भारत के 'सर्वे भवन्तु सुखिनः' के प्राचीन वैदिक सिद्धांत ने सहस्राब्दियों से मानव सभ्यता का मार्गदर्शन किया है। आज जब पूरी दुनिया जलवायु परिवर्तन के कारण अस्तित्व की चुनौती से जूझ रही है, तो जलवायु प्रबंधन के प्रति भारत की कालातीत वैदिक...