गुड़गांव, अगस्त 6 -- सोहना। सोहना शहर में स्थित राजकीय कन्या मॉडल संस्कृत प्राथमिक पाठशाला-एक की 285 छात्राएं जर्जर हो चुके स्कूल भवन में जान जोखिम में डालकर पढ़ने को मजबूर हैं। देश की आजादी से भी पहले, वर्ष 1942 में बने इस स्कूल की हालत इतनी दयनीय है कि 5 में से 2 कमरों की छत कभी भी गिर सकती है। एक कमरे की छत का सरिया दिख रहा है, तो दूसरे की छत का पत्थर टूटा हुआ है। प्रदेश सरकार भले ही सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने का दावा करती हो, लेकिन इस स्कूल में बच्चों के लिए पर्याप्त कमरे तक नहीं हैं। मजबूरन, शिक्षकों को एक ही कमरे में दो-दो कक्षाओं की छात्राओं को पढ़ाना पड़ता है। स्कूल में शिक्षकों के बैठने के लिए भी कोई अलग कमरा नहीं है। उन्हें कक्षाओं के बीच में ही अपना कार्यालय और सामान रखना पड़ता है, जिससे शैक्षणिक माहौल प्रभावित हो रहा है। छत...
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