अमरोहा, मार्च 7 -- सामाजिक संस्था जन आवाज फाउंडेशन के अध्यक्ष शुएब चौधरी ने कहा कि रोजा सिर्फ भूखे प्यासे रहने का नाम नहीं है बल्कि रोजा इंसान को इंसान से प्यार और जरूरतमंदों की मदद करना सिखाता है। रोजा हमें सब्र का दामन नहीं छोड़ने की सीख दे रहा है। मसलन, मौजूदा वक्त में दुनिया भूख, प्यास और इंसानी ख्वाहिशों के इर्दगिर्द घूम रही है। रोजे से हमें इन तीनों पर सब्र रखने का पैगाम मिलता है। शुएब चौधरी ने आगे कहा कि रमाजन का महीना गरीब व जरूरतमंद लोगों का दुख-दर्द और भूख-प्यास की अहमियत को समझने का महीना है ताकि रोजेदार को इन सब चीजों का एहसास हमेशा रहे और उसमें अल्लाह के बंदों की मदद का जज्बा बना रहे। आखिर में कहा कि एक महीने रोजा रखना हमारे खुद के लिए भी फायदेमंद है। आज साइंस खुद इस बात को कह रही है कि रोजे में सेहतमंदी के राज छिपे हैं। कुल ...