पंकज वत्स, सितम्बर 2 -- कभी आर्थिक तंगी से जूझ रहे गुरमीत सिंह आज दूसरों के लिए प्रेरणा बन गए हैं। हालात ने उन्हें मजबूर किया तो उन्होंने रोजी-रोटी के लिए जरी-जरदोजी का काम चुना। जो काम कभी उन्होंने छोटे स्तर पर शुरू किया, आज वही उनके परिवार को सम्मान और खुशहाली की ओर ले आया है। किला निवासी गुरमीत बताते हैं कि परिवार की स्थिति इतनी खराब थी कि बच्चों की पढ़ाई तक प्रभावित हो रही थी। रोजमर्रा के खर्च भी मुश्किल थे। ऐसे में उन्होंने तय किया कि वो अपने हुनर को ही रोजगार बनाएंगे। पारंपरिक कढ़ाई-कला में गहरी रुचि होने के कारण उन्होंने जरी-जरदोजी को ही आजीविका का जरिया बनाया। शुरुआत छोटे पैमाने पर हुई। कुछ गिने-चुने ऑर्डर मिलते और काम भी मामूली पैसों का होता। धीरे-धीरे उनके हुनर ने बाजार में पहचान बनानी शुरू कर दी। मेहनत और लगन से बने उनके डिजाइन...