जयपुर, अगस्त 5 -- जयपुर की दोपहर उस वक्त सन्न रह गई, जब एक मां के मोबाइल पर कंपकंपा देने वाला कॉल आया - "तेरा बच्चा मेरे पास है. एक लाख रुपए दो वरना लेने के देने पड़ेंगे!" मासूम पीयूष की उम्र महज 11 साल. मां के साथ रहता था। और जिस पर सबसे ज़्यादा भरोसा था, उसी ने सबसे बड़ा धोखा दे दिया। यह कोई बाहरी गैंगस्टर नहीं था, कोई अजनबी नहीं था - रोज ढाबे पर खाने आने वाला 'भाई जैसा जानने वाला' ही निकला शिकारी।घटना की पटकथा रविवार दोपहर शुरू होती है। जगतपुरा, महल रोड - यहां स्थित एक ढाबे पर एक युवक रोज खाना खाने आता था। मां-बेटे से पहचान हो गई। धीरे-धीरे दोस्ती बढ़ी और भरोसा गहराता गया। फिर रविवार को वह आया और बच्चे को कहा - "चलो पीयूष, थोड़ा घूमने चलते हैं, बाइक पर बैठो।" मां को न शक हुआ, न सवाल उठे। लेकिन जैसे ही घड़ी ने 1 बजाया, कहानी ने करवट ली।...