जयपुर ग्रामीण, जून 2 -- राजधानी जयपुर से महज़ 80 किलोमीटर दूर सांभर झील का कस्बा आज पानी की भयंकर किल्लत से जूझ रहा है। कभी खारे पानी की सबसे बड़ी झील के लिए पहचाना जाने वाला यह इलाका अब पलायन, प्यास और प्रशासनिक उपेक्षा की मिसाल बन गया है। यहां के मोहल्लों में "मकान बिकाऊ है" और "हम पानी के लिए पलायन कर रहे हैं" ।पुश्तैनी हवेलियां पानी के बदले बिकाऊ 250 साल पुरानी हवेली छोड़ रहे पराग पोद्दार हों या लाखों खर्चकर नया घर बनाने वाले ललित सोनी-हर किसी के माथे पर पानी की चिंता की सिलवटें हैं। गृहणी संतोष सैन बताती हैं, "नल से पानी नहीं आता, टैंकर ही एकमात्र सहारा है। लेकिन टैंकर भी अब लग्ज़री बन गया है, जिसके लिए दोगुने दाम चुकाने पड़ते हैं।"गली-गली में प्यासे पोस्टर वार्ड 22 और 23 के चारभुजा मंदिर गली, कालानियों की गली, जोशियों की गली से लेकर...