नई दिल्ली, अक्टूबर 25 -- जम्मू-कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) सरकार के कार्यकाल का एक वर्ष पूरा होने पर आरक्षण नीति की समीक्षा प्रदेश की सबसे बड़ी राजनीतिक बहस बन गई है। साल 2024 में जब जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश के रूप में सीधे दिल्ली के प्रशासनिक नियंत्रण में था तब उपराज्यपाल (LG) ने पहाड़ी समुदाय को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की मंजूरी दी थी। यह समुदाय की लंबे समय से लंबित मांग मानी जा रही थी। इस निर्णय के बाद प्रदेश में कुल आरक्षण लगभग 60 प्रतिशत तक पहुंच गया। राजनीतिक विश्लेषकों ने उस समय माना था कि यह कदम बीजेपी के लिए संसदीय और विधानसभा चुनावों में राजनीतिक समर्थन जुटाने का प्रयास था। वर्तमान में जम्मू-कश्मीर में अनुसूचित जाति (SC) को 8%, अनुसूचित जनजाति (गुज्जर-बकरवाल) को 10%, अनुसूचित जनजाति (पहाड़ी) को 10%, अन्य पिछड़ा वर्ग ...
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