नई दिल्ली, जून 23 -- सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस प्रथा की निंदा की, जिसमें पक्षकार स्वेच्छा से जमानत के लिए बड़ी रकम जमा करने की पेशकश करते हैं, लेकिन बाद में हाईकोर्ट द्वारा लगाई 'कठोर' शर्तों में ढील मांगते हैं। जस्टिस के. वी. विश्वनाथन और एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत किसी व्यक्ति के अधिकारों के प्रति सचेत है, लेकिन उसे 'न्यायिक प्रक्रिया की पवित्रता के प्रति भी उतना ही सचेत होना चाहिए। पीठ ने कहा कि इस बात पर कोई विवाद नहीं हो सकता कि अत्यधिक जमानत कोई जमानत नहीं है और जमानत देते समय कठोर शर्तें नहीं लगाई जानी चाहिए। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता पर केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर अधिनियम, 2017 के प्रावधानों के तहत अपराध दर्ज किया गया है, क्योंकि उसने कथित तौर पर 13.73 करोड़ रुपये के करों की च...