नई दिल्ली, सितम्बर 12 -- सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण फैसले में 'देश के सभी उच्च न्यायालयों और जिला अदालतों को कम से कम समय में आरोपियों के जमानत और अग्रिम जमानत याचिकाओं का निपटारा करने का आदेश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि अग्रिम या नियमित जमानत याचिकाओं का निपटारा अधिमानत: 3 से 6 माह में किया जाना चाहिए। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि जमानत याचिकाओं को वर्षों तक लंबित नहीं रखा जा सकता। फैसला सुनाते हुए जस्टिस महादेवन ने कहा कि जमानत याचिका, जो सीधे तौर पर आरोपों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार से संबंधित हैं, को वर्षों तक लंबित नहीं रखा जा सकता क्योंकि इससे याचिकाकर्ता अनिश्चितता के घेरे में बना रहता है। सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दाखिल अपील का निपटारा करते हुए यह आदेश दिय...