नई दिल्ली, अक्टूबर 6 -- जमानत मिलने के बाद सोशल मीडिया पर उत्सव का माहौल बनाना अब अपने आप में जमानत रद्द करने का कारण नहीं होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में साफ किया है कि जब तक सोशल मीडिया पोस्ट या वीडियो में शिकायतकर्ता के खिलाफ स्पष्ट धमकी या डराने की मंशा न दिखे, तब तक ये जमानत रद्द करने का आधार नहीं बन सकते।जमानत का जश्न, लेकिन धमकी नहीं! दिल्ली हाईकोर्ट के जज रविंदर दुदेजा ने एक याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही। ये याचिका जफीर आलम नाम के शिकायतकर्ता ने दायर की थी, जिसमें उन्होंने नरेला इंडस्ट्रियल एरिया पुलिस स्टेशन में दर्ज एक मामले में आरोपी मनीष की जमानत रद्द करने की मांग की थी। मनीष पर IPC की धारा 436, 457, 380 और 34 के तहत केस दर्ज है। शिकायतकर्ता का आरोप था कि मनीष और उसके साथियों ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया।...