नई दिल्ली, नवम्बर 23 -- भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश जस्टिस सूर्यकांत ने शनिवार को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्वदेशी न्यायशास्त्र को अपनाने की दिशा में बल दिए जाने को एक स्वाभाविक कदम बताया। उन्होंने कहा कि 75 वर्षों में न्यायालय ने जो मजबूत और आधिकारिक न्याय-निर्णय का संग्रह बनाया है, उसके बाद अब समय आ गया है कि सर्वोच्च न्यायालय अपनी स्वयं की न्यायिक विचारधारा को गहरा करे। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने स्पष्ट किया कि भारतीय न्यायपालिका के लिए अपने स्वयं के दर्शन पर निर्भर रहना क्यों आवश्यक है। उन्होंने कहा, "सुप्रीम कोर्ट के हजारों ऐतिहासिक निर्णय देने के 75 वर्षों के बाद जब हमारे निर्णयों को अन्य विभिन्न क्षेत्राधिकारों द्वारा उद्धृत किया जा रहा है और जब हमने अपने दम पर न्यायिक ज्ञान का भंडार अर्जित कर लिया है। हमें अपने देश से संबंधित किसी ...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.