रांची, सितम्बर 17 -- 15 नवंबर 2000 को बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बना, लेकिन इसके बनने के पहले कई आदिवासियों ने अपनी जान गंवाई। जान गंवाने की ऐसी ही एक भयावह घटना 1 जनवरी 1948 को घटी थी, जिसे आजाद भारत का 'जलियावाला बाग कांड' का नाम दिया गया। वजह, ओडिशा मिलिट्री द्वारा पचास हजार से अधिक आदिवासियों पर अंधाधुंध फायरिंग करवाना था। इस नरसंहार में 2000 से ज्यादा आदिवासी मारे गए, लेकिन सरकारी आंकड़ों में इस संख्या को 35 बताया गया। 'झारखंड गाथा' की पहली कड़ी में जानिए आजाद भारत के 'जलियांवाला बाग कांड' की कहानी।आखिर क्यों जुटी थी आदिवासी भीड़? देश आजाद हो चुका था। एक तरफ लोग आजादी का जश्न मना रहे थे, तो वहीं दूसरी तरफ झारखंड के खरसावां में आदिवासी अपनी मांगों के लिए जुटे थे। यहां लगभग पचास हजार से ज्यादा आदिवासी जुटे थे। इसके पीछे की वजह थी, ...