मेरठ, मार्च 9 -- कंकरखेड़ा, संवाददाता ज्योतिष्पीठाधीश्वर जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने देवी भागवत कथा के समापन अवसर पर कहा कि यह संसार अनादि है। जब किसी को पीड़ा होती है तो सब मां को ही याद करते हैं। शंकराचार्य ने बताया कि जब सारे रास्ते बंद हो जाते हैं तब मां काम आती है। धरती भी राजराजेश्वरी ही है। इसका एक नाम क्षमा भी है। उन्होंने बताया कि धरती के दो रूप हैं। अचल रूप धरती एवं चल रूप गोमाता। शंकराचार्य ने सत्यवान व सावित्री की कथा सुनाते हुए बताया कि किस तरह सावित्री यमराज से अपने पति के प्राण वापस ले आई। साथ में खुद के लिए 100 पुत्रों और 100 भाइयों का वरदान मांगा। उन्होंने बताया कि दक्षिणा भी देवी का ही रूप है। यदि दक्षिणा तत्काल दे दी जाए तो छह गुना फल मिलता है। उन्होंने दंडी संन्यासियों को साक्षात नारायण स्वरू...