नई दिल्ली, अक्टूबर 15 -- प्रकृति में परिवर्तन एक निरंतर प्रक्रिया है। कभी-कभी ऐसे अप्रत्याशित बदलाव हो जाते हैं, जिनकी कल्पना इंसान नहीं कर पाता। आइसलैंड के दक्षिणी तट पर ऐसा ही एक चमत्कारिक परिवर्तन हुआ है। दरअसल, 1963 में आइसलैंड के दक्षिणी तट से दूर समुद्र के अंदर फटे एक ज्वालामुखी के लावा ने एक नए द्वीप का निर्माण किया, जो वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्यजनक घटना साबित हुई। इस द्वीप का समुद्र के बीचोंबीच अचानक उभरकर प्रकट होना वैज्ञानिकों को एक दुर्लभ अवसर प्रदान करने वाला था, यह देखने का कि मानवीय हस्तक्षेप रहित एक भूभाग पर जीवन कैसे बसता है। आज भी यह द्वीप वैज्ञानिकों की जिज्ञासा का केंद्र बना हुआ है। आइसलैंड के प्राकृतिक विज्ञान संस्थान की भूगोलवेत्ता ओल्गा कोलब्रून विल्मुंडार्डोटिर इस द्वीप के निर्माण को एक असाधारण घटना मानती हैं। द गार...